आग़ाज़ दोस्ती का, ख़ुशनुमा पल ज़िंदगी का सावन और तुम जैसे दोस्त, बन कर आते हो वैसे ही याद आया मौसम बचपन का यादों का गुलदस्ता, हो जाता है तरोताज़ा बारिश का पानी, काग़ज़ की कश्ती दोस्तों संग छपाक-छपाक वाली मस्ती कितनी याद आती है वो मटरगश्ती आग़ाज़ दोस्ती का, ख़ुशनुमा पल ज़िंदगी का सावन और तुम जैसे दोस्त, बन कर आते हो वैसे ही याद आया मौसम बचपन का यादों का गुलदस्ता, हो जाता है तरोताज़ा बारिश का पानी, काग़ज़ की कश्ती दोस्तों संग छपाक से पानी में कूदना कितनी याद आती है अब भी वो मटरगश्ती OPEN FOR COLLAB✨ #ATdearaugustletter