गुफ्तगू आशिकाना सब हराम, यार जानी दिलबराना सब हराम जुल्फें खुशबू मिले अगर यार के। मुस्क अंबर जाफराना सब हराम। चल पड़े हैं आज से हम जंगल की ओर। घर गली दफ्तर ठिकाना सब हराम। इश्क तुझसे अब मुझे इतना नहीं। लाज नखरे लाड उठाना सब हराम। अब तुझे मैं भूल जाने वाला हूं। क्योंकि याद करना याद आना सब हराम। कल परिंदे छत से यह कह कर उड़े। हम पे तेरा पानी दाना सब हराम। ओढ कर हम चुप के चादर सो गए। अब गिला शिकवा यताना सब हराम। गुफ्तगू आशिकाना सब हराम, यार जानी दिलबराना सब हराम सब हराम