तू सुचित्त, चंचल चित्तवाली कामिनी, मन भामिनी... मेरा हृदय हो भवन तेरा, मेरे हृदय पथ गामिनी... अधर पाटल नैन कज्जल, मुख है चमकती चांदनी... केशपाश जस मेघाकाश, उस बीच दमके दामिनी... पाँव नूपुर छमक छम छम, चलत भूमि पग धरे... कंगन करे जो खनक खन खन, मेरा हृदय कंपन करे... मुदित मन, सुरभित पवन हो, स्पर्श तुझसे सुहावनी... प्रेम की परिभाषा तुझसे, है प्रेम का पर्याय तू... प्रेम का अध्ययन करूँ मैं, है प्रेम का अध्याय तू... हाँथ में हो हाँथ तेरा, साथ में हो साथ तेरा... तू मेरे हिय में समायी, तू ही बनी मन भाविनी... #NojotoQuote शृंगार रस में स्वरचित कविता... त्रूटियों से अवश्य अवगत करायें... तू सुचित्त, चंचल चित्तवाली कामिनी, मन भामिनी... मेरा हृदय हो भवन तेरा, मेरे हृदय पथ गामिनी...