चलते होंगे देश जहाँ के, संविधान के मंथन से मेरा देश तो चलता है, केवल अध्यात्म के सिंचन से शरणार्थी अब शरण माँग कर, गाली देते दाता को सोये रहें सब लोग और, लुटने दें भारत माता को यह न चलेगा मेरे रहते, आज़ादी मुझको भी है ऋषियों की धरती हो कलंकित, कैसा यह अपमान अहै जिसे नहीं विश्वास राष्ट्र पर, वह निर्माण करेगा क्या स्वयं शांति का दूत नहीं जो, वह संग्राम करेगा क्या भारत में रहने वाले जो लोग ऐसा समझते हैं कि "संविधान" सबसे ऊपर है.. उनकी मूर्खता पर हँसी आती है हमें.. अरे.. भारत तो अध्यात्म के प्रकाश से चलता है.. ये अभी-अभी बने संविधान की बिसात ही क्या है हमारी ऋषि-प्रणीत संस्कृति के सामने.. अतः बार-बार संविधान का नाम ले कर अपने कुकृत्यों को Justify न किया करें.. भारत में जो लोग रहते हैं.. वो सब वेदों की शरण में हैं.. इसीलिये.. चाहे आप किसी सम्प्रदाय से आते हों.. चाहे कोई भी religious views रखते हों.. पर आप भारत के अध्यात्म का अपमान कभी नहीं कर सकते.. यदि करते हैं.. तो भारत में रहने का आपको कोई अधिकार नहीं है..