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हे वीणावादिनी! हे हंसवाहिनी! तुम ही हो ज्ञान पुंज

हे वीणावादिनी! हे हंसवाहिनी! तुम ही हो ज्ञान पुंज का स्रोत,
निष्काम कर्म का साधक बनूँ,दिल रहे तेरे विश्वास से ओतप्रोत।

कोटि कोटि तुझको प्रणाम करूँ,बारम्बार मैं तुझको नमन करूँ,
शीश झुका कर तेरे चरणों में माँ बस तेरा ही हरपल बंदन करूँ।

नव उल्लास,नव उमंग व नव तरंग से, सबका जीवन पुष्पित हो,
शब्दों के पुष्प हार देकर,सबका ही जीवन जीना सफल कर दो।

नव गति, नव लय व नव स्वर देकर,जीवन को संगीत से भर दो,
भेद-भाव,ईर्ष्या व क्लेष का तम हरकर,प्रकाश से रोशन कर दो।

हे ज्ञानदायिनी! हे वागीश वीणावादिनी! उर में आनंद भर दो,
नाश करके कुबुद्धि का ज्ञानधन से,सबकी सुबुद्धि दीप्त कर दो।

 प्रतियोगिता संख्या #६
नमस्कार लेखकों/कातिबों

1:आज के इस विषय पर अपने बहुमूल्य विचार रखें।

2: पंक्ति बाध्यता नहीं केवल वालपेपर ही लिंखें। वर्तनी एवं विचार की शुद्धता बनाए रखें।

3: आप हमारी कोट को हाइलाइट करें।
हे वीणावादिनी! हे हंसवाहिनी! तुम ही हो ज्ञान पुंज का स्रोत,
निष्काम कर्म का साधक बनूँ,दिल रहे तेरे विश्वास से ओतप्रोत।

कोटि कोटि तुझको प्रणाम करूँ,बारम्बार मैं तुझको नमन करूँ,
शीश झुका कर तेरे चरणों में माँ बस तेरा ही हरपल बंदन करूँ।

नव उल्लास,नव उमंग व नव तरंग से, सबका जीवन पुष्पित हो,
शब्दों के पुष्प हार देकर,सबका ही जीवन जीना सफल कर दो।

नव गति, नव लय व नव स्वर देकर,जीवन को संगीत से भर दो,
भेद-भाव,ईर्ष्या व क्लेष का तम हरकर,प्रकाश से रोशन कर दो।

हे ज्ञानदायिनी! हे वागीश वीणावादिनी! उर में आनंद भर दो,
नाश करके कुबुद्धि का ज्ञानधन से,सबकी सुबुद्धि दीप्त कर दो।

 प्रतियोगिता संख्या #६
नमस्कार लेखकों/कातिबों

1:आज के इस विषय पर अपने बहुमूल्य विचार रखें।

2: पंक्ति बाध्यता नहीं केवल वालपेपर ही लिंखें। वर्तनी एवं विचार की शुद्धता बनाए रखें।

3: आप हमारी कोट को हाइलाइट करें।

प्रतियोगिता संख्या #६ नमस्कार लेखकों/कातिबों 1:आज के इस विषय पर अपने बहुमूल्य विचार रखें। 2: पंक्ति बाध्यता नहीं केवल वालपेपर ही लिंखें। वर्तनी एवं विचार की शुद्धता बनाए रखें। 3: आप हमारी कोट को हाइलाइट करें। #YourQuoteAndMine #माँ_सरस्वती #दावत_ए_क़लम #dawat_e_kalam #विद्या_की_देवी #प्रतियोगिता_संख्या_6