मैने हौंसले नहीं खोए, मुखातिब आँधियों से कह दो ..मेरे कंधों मेँ जिम्मेदारी है बोझ नहीं है ...। मेरे इरादों में चिंगारियों ने आग लगायी है ...मुखातिब चुनौतियों से कह दो ...मेरे कंधो में जिम्मेदारी है बोझ नहीं है ..मेरी आँखो में अब खुद की ख्वाहिश की चाहत नहीं है ..मैने ख्वाहिशों को दफन करके उम्मीद की किरण जलायी है ...मुखातिब जुल्मों को कह दो ..मेरे कंधो में जिम्मेदारी है बोझ नहीं है ....इन सीने के दरख्तों को घाव नहीं कहते ...पीठ में छूरा घोंपने को दांव नहीं कहते ...विश्वास के कदमों को बेवकूफी नहीं कहते ..जीत जाओ तुम मक्कारी से तो उसे बाजीगर नहीं कहते ...वक्त पलटेगा जरूर अंत में फ़िर उसे जंग लोग कहते ...पर याद रखना इस बात को उसे सिर्फ़ और सिर्फ़ सिकन्दर ही सब कहते । yuvraj vishal dixit #zindagi#uv