बारिश की बूँदों ने यह कैसी नज़ाकत दिखाई चूम कर उसके अश्कों को, मुहब्बत दिखाई। दरीचे से झाँक रही थी, आसमान में परिंदों को, अपने कुचले पंखों को छुपा, महारत दिखाई। भीगे आँचल में कैद थे, ख़्वाब उसके अधूरे, उतार फेंक उसे, यह कैसी शराफत दिखाई। लिखती रही पाती, दर्द और तन्हाई की स्याही से हर लफ्ज़ में दिल में छुपी शिकायत दिखाई। सुकूँ की तलाश में, चीखने को आतुर उसका मौन, मुस्कुराते लब,ग़मगीन आँखों ने रफ़ाक़त दिखाई। छलनी रूह, शून्य की ओर बढ़ते उसके कदम, मार खुद को ठोकर,लड़खड़ाते हुए ताकत दिखाई। फिर बरसेंगे बादल प्रेम के,खिलेंगे पुष्प दोबारा, तसल्ली देकर दिल को,खुद पर इनायत दिखाई। प्यारी सखी श्वेता अग्रवाल की कलम से😊 #स्नेहा_अग्रवाल #मैं_अनबूझ_पहेली #श्वेता_अग्रवाल प्यारी सखी श्वेता अग्रवाल की कलम से 😊 श्वेता अग्रवाल