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अपने पुराने दिनों की वह सौगात याद आती है , मां मु

अपने पुराने दिनों की वह सौगात याद आती है ,

मां मुझे आपकी कही हुई हर बात याद आती है।


 मुश्किलों में पड़ी हुई है आज मेरी जिंदगी ,

 फिर  भी मुझे आपकी हौसले भरी वह बात याद आती है।


 आज भी मौत के सच से डरती हूं मैं मगर,

 आपकी वह अपनों पर मर मिटने वाली बात याद आती है ।


जिंदगी सवर चुकी है मेरी कहकर ,

हमारी  जिंदगानियां सवारनें की वह बात याद आती है।


 आज भी  डरती हूं मैं इम्तिहानों से मगर ,

आपकी वह आशीर्वाद भरी बात याद आती है।


 गिज़ा लेने में आज भी नखरे करती हूं मैं मगर,

 आपके हाथों की स्वाद भरी वह बात याद आती है।


 दुनिया से कहती फिरती हूं बड़ी हो गई हूं मैं मगर,

 आज की गोद में रोने की वह बात याद आती है।


 कितना भी झूठ बोल लूं मैं दूसरों से मगर ,

सच तो यह है मां मुझे आपकी बहुत याद आती है।


                                          📝 ओजस्वी शर्मा mother#poem
#SilentWaves
अपने पुराने दिनों की वह सौगात याद आती है ,

मां मुझे आपकी कही हुई हर बात याद आती है।


 मुश्किलों में पड़ी हुई है आज मेरी जिंदगी ,

 फिर  भी मुझे आपकी हौसले भरी वह बात याद आती है।


 आज भी मौत के सच से डरती हूं मैं मगर,

 आपकी वह अपनों पर मर मिटने वाली बात याद आती है ।


जिंदगी सवर चुकी है मेरी कहकर ,

हमारी  जिंदगानियां सवारनें की वह बात याद आती है।


 आज भी  डरती हूं मैं इम्तिहानों से मगर ,

आपकी वह आशीर्वाद भरी बात याद आती है।


 गिज़ा लेने में आज भी नखरे करती हूं मैं मगर,

 आपके हाथों की स्वाद भरी वह बात याद आती है।


 दुनिया से कहती फिरती हूं बड़ी हो गई हूं मैं मगर,

 आज की गोद में रोने की वह बात याद आती है।


 कितना भी झूठ बोल लूं मैं दूसरों से मगर ,

सच तो यह है मां मुझे आपकी बहुत याद आती है।


                                          📝 ओजस्वी शर्मा mother#poem
#SilentWaves