14 अगस्त, 1947।
आजादी के गीत आज मै लिख लू और फिर कल उन्हे मै गाऊ। आज थोड़े गुलाबो को खिला दू और कल उन्हे दे दू।
आखिर कार वो दिन आ गया जिसका बेसबरी से इंतजार था।कल आजादी का जश्न मनाया जाएगा। तिरंगे का वह लहलहाता रुप देखने के लिए मेरा मन और मेरा तन निद्रा के कन छुनेसे इंकार कर रहा है। लहू के, दिल के और कई हिम्मतो के पानी हो जाने पर मन मे कही दुख ठहरा है। कई अपने मारे गए तो कई ने बलिदान किए। इस सुनहरे दिन के लिए मेरे पिता ने खुदको वतन हवाले कर दिया और हमे अकेला कर दिया।
लेकिन इस खुशी मे #Hindi#diaryentry#cascadewriters#cwtricolorwings#cwtw3