*कल शीशा था,* *सब देख-देख कर जाते थे।* *आज टूट गया,* *सब बच-बच कर जाते हैं।* *समय के साथ,* *देखने और इस्तेमाल का* *नजरिया बदल जाता है। 💐 *एक उम्र वो थी कि जादू में भी यक़ीन था,* *एक उम्र ये है कि हक़ीक़त पर भी शक़ है.* *💐रख भरोसा खुद पर* *क्यो ढूंढता है फरिश्ते* *पंछीओ के पास कहाँ होते है नक्शे* *फिर भी ढुंढ लेते है रास्ते*💐💐 Rjking