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कि मान बैठे थे जिसको खुदा हम भी वो तो नज़रे नसूर ह

कि मान बैठे थे जिसको खुदा हम भी 
वो तो नज़रे नसूर होगया 
पाया भी क्या था खोया भी क्या है 
जब खुद ही खुद से दूर होगया ।

मैं वक्त की इबादत अब नही करता 
वक्त ने बहुत सताया है 
गैरों को अपना और अपनों को गैरा इसने यही बताया है ।

पर वक्त के मंसुब्बे भी  बहुत सही थे 
इसने हमें संभाला है 
कठिन राह पर साथ चला और उनसे हमें निकाला है ।
                                    -सचिन 😎 #wakt
कि मान बैठे थे जिसको खुदा हम भी 
वो तो नज़रे नसूर होगया 
पाया भी क्या था खोया भी क्या है 
जब खुद ही खुद से दूर होगया ।

मैं वक्त की इबादत अब नही करता 
वक्त ने बहुत सताया है 
गैरों को अपना और अपनों को गैरा इसने यही बताया है ।

पर वक्त के मंसुब्बे भी  बहुत सही थे 
इसने हमें संभाला है 
कठिन राह पर साथ चला और उनसे हमें निकाला है ।
                                    -सचिन 😎 #wakt