दो रुपया लेकर गया मैं भैया के संग। उसमें लेकर आ गया मांझा और पतंग।। आसमान में खेल रही हैं रंग बिरंगी पतंग। पेंच लड़ाया कट गई पक्षी की गर्दन।। घायल होकर गिर गया देख रह गया दंग। कभी नहीं उड़ाऊँगा हिंसक यह पतंग।। - सर्वोदय, जबलपुर बच्चों की कवितायें