लोग आग मे जलते हैं अक्सर,जख्मो को ओढ़े रहते हैं हमलोग हैं ऐसे दीवाने,ख्वाबों से बातें करते हैं कभी अश्क पिये कभी दर्द पिये कभी ओढ़ कफन सो जाते हैं फिर आते जाते लोगों से हँसकर के बातें करते हैं भूखे दिन-भर हम चलते हैं, शब भर भूखे हम सोते हैं फिर ओढ़ लिहाफा अम्बर का धरती कि गोद मे सोते हैं हम फूलों के ब्यापारी हैं,काँटो से सौदे करते हैं फूलों के ख्वाब मे रहते हैं, काँटो पे सोया करते हैं आग मे .............................। राजीव नयनसी परमार Shivansh Mishra Anant