#OpenPoetry भीग गया यह चंचल मन उस मीत की यादों में जो कभी बसा रहता था हर दर की फरियादो में वो पल तो गया गुजर जब साथ रहता था वो अब तो कमबख्त बसा है भूली बिसरी यादों में yaad