कभी गर्म कभी सर्द बदलने लगे हो तासीर हो गए हो क्या... कड़ी दर कड़ी मुझसे जुड़ गए हो जंजीर हो गए हो क्या... मुझे मिल कर मुझे बदलने लगे हो तकदीर हो गए हो क्या... अपनी निगाहों के वार से सीना चीरने लगे हो शमशीर हो गए हो क्या... मुहब्बत की पाश में बांध मुझपर हुक्म करने लगे हो आमिर हो गए हो क्या... मुझको सब दुआ देकर मेरी बला लेने लगें हो फकीर हो गए हो क्या... इश्क़ से अपने मुझ काफिर को भी झुकाने लगे हो पीर हो गए हो क्या... अब मिलकर फिर जुदा होने की बात करते हो कश्मीर हो गए हो क्या... बस एक चहरा महज बन कैद करने की बात करते हो तस्वीर हो गए हो क्या... बदलते वक्त में सच से बदल एक ख्याल हो रहे हो ताबीर हो गए हो क्या... #इश्क़ की दास्तां का बयां #शायरी के #अंदाज़ में #yqdidi #shayari #hindi #urdu #tarunvijभारतीय