तुम्हारे...बारे में लिखना हाँ... सिर्फ...तुझे ही लिखना लगता है... अच्छा...मुझे ना हो यक़ीन...तो तुम उठाना...थोड़े झुककर बिखरे पड़े... मेरे...लफ़्ज़ों के कतरे मलना... अपने ही...हाथों पर आहिस्ता-आहिस्ता डगर पर...यूँ ही थोड़ी देर... प्रीत की...चलना खुशबू...तेरे नाम की...आएगी खुशी हो चाहे...दर्द होठो में अपने... तेरे संग ...दबाएगी ना हो गर.. ऐसा तो...कहना...मुझसे छोड़ दूंगा... लिखना...मोहब्ब्त कलम फिर... आँखो से...शोर चाहे जितना...मचाएगी !! ©Raj choudhary "कुलरिया" #WithU तुम्हारे...बारे में लिखना हाँ... सिर्फ...तुझे ही लिखना लगता है... अच्छा...मुझे ना हो यक़ीन...तो तुम उठाना...थोड़े झुककर