उम्र अब ढ़लने को है... हवाएं अब बदलने लगी है... कंधों में भी अब पहले जैसी बात ना रहीं... मन अपनों के ही कटु वचनों से आहत होता जा रहा है... अपनों में भी अब अपनापन ना रहा... सम्मान अपनों से जीवंत पर्यन्त उसे मिल ना सका... निगाहें भी अब हिसाब लगाती बहुत है... समर्पण का परिणाम सिर्फ शून्य ही रहा... जिंदगी बड़ी ही अजीब़ पाठशाला है साहब मृत्यु तक सिखाती बहुत है... प्रियतम शुरुआत बड़ी दुख भरी थी पर, आसमान तक अपनो को वो लें गया 🌷 खून से सिंची थी ज़मीन उसने अपनी अपनो के लिए, अपनों का लालच ही धोखा दे गया☹️☹️ #किसान_की_व्यथा #परिवार #lifequotes #zindagi #zindagikasafar