रति अर्थात् लिखने में उपयुक्त रस की वह अभिव्यक्ति जिसमें मन के भाव निहित हों फिर चाहे वो इन्द्रिय समंवित हो अथवा इन्द्रिय परे हो। भाव की अभिव्यक्ति का माता स्वरूप होना एक लेखक का उत्तम गुण है। यद्यपि ये प्रेम का ही रूपांतर है फिर भी रति 'कारण' है और प्रेम जो सर्वत्र है फिर भी गौण है। #रति #प्रेम