बचपन का एक ख्वाब अभी अधूरा है... उड़ती है जो रंग-बिरंगी पतंग उसके जैसे रंगों को ओढ़ मुझे आसमान की ऊँचाई तक उड़ना है नहीं काटनी किसी की डोर मुझे नहीं करनी प्रतियोगिता मुझे आसपास उड़ती अन्य पतंगों से उड़ना है मुझे बस पतंग बन धीरे-धीरे छूटेगी डोर मेरी धीरे-धीरे उड़ता जाऊँगा लहराऊँगा खुशी में मस्त हो नाचूंगा मंद और तेज़ बयार संग होगा अपार हर्ष मुझे दूसरी पतंगो को भी देख वहीं पर...अधूरा है अभी बचपन का यह ख़्वाब मेरा...! मुनेश शर्मा मेरी✍️🌈🌈🌈 बचपन के कुछ ख़्वाब पड़े हैं आँखों में बचपन की कुछ साँसें पड़ी हैं साँसों में। #बचपनकाख़्वाब #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi