देखत देखत दिवसे पार भयो, सोचत विचारत अंधियार भयो। बातन की गठ्ठरीया मोको ऐसो उलझायो, माया मोको जकरत है, त्याग के निर्णय पे भड़कत है। ,क्षुधा मोरी मिटत नाहीं, मैं समझूँ तोय औ, तू काहि मोको समझत नाहीं । ©Innocent Soul #nojotohindi #nojotopoetry #Hope #Future #story