Nojoto: Largest Storytelling Platform

गुलामी के अंधेरों मे, डूबा था जब वतन। ख़िज़ाँ की क

गुलामी के अंधेरों मे, डूबा था जब वतन।
ख़िज़ाँ की काली रात के, साए मे था चमन।
नाम से ही आज़ाद था, वह अपना शेरे-हिन्द,
इंकलाब-ज़िन्दाबाद, क्या ख़ूब था सुख़न ।
क़ुर्बान कर दी ज़िन्दग़ी, वतन की आन पर,
सब कुछ लुटा के बन गया, वो सब का जानेमन।
 आज़ादी के मतवाले महान क्रांतिकारी चन्द्रशेखर आज़ाद (13 जुलाई 1906 - 27 फरवरी 1931) के #बलिदानदिवस पर उन्हें कोटि-कोटि नमन। 
#collab  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
गुलामी के अंधेरों मे, डूबा था जब वतन।
ख़िज़ाँ की काली रात के, साए मे था चमन।
नाम से ही आज़ाद था, वह अपना शेरे-हिन्द,
इंकलाब-ज़िन्दाबाद, क्या ख़ूब था सुख़न ।
क़ुर्बान कर दी ज़िन्दग़ी, वतन की आन पर,
सब कुछ लुटा के बन गया, वो सब का जानेमन।
 आज़ादी के मतवाले महान क्रांतिकारी चन्द्रशेखर आज़ाद (13 जुलाई 1906 - 27 फरवरी 1931) के #बलिदानदिवस पर उन्हें कोटि-कोटि नमन। 
#collab  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi