आँखें मूँद लेने से कभी सच्चाई नहीं बदलती,
हक़ीक़त पर पर्दा डाल देने से वो मुक़म्मल ख़्वाब नहीं बन जाता।
ख़्वाब ज़रूर देखा करो, मुक़म्मल करने की हर एक कोशिश भी करो,
पर अपनी 'ज़िद' को कभी 'ख़्वाब' समझने की गलती मत करना..
आज शायद आपकी ये 'ज़िद' पूरी हो भी जाये ,पर ध्यान रहे कल यही ज़िद किसी अपने का 'ख़्वाब' तोड़ देगी!
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