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चाह नहीं है मुझको कोई कि मैं किसी माला में पिरोया

चाह नहीं है मुझको कोई कि मैं किसी माला में पिरोया जाऊँ,
चाह नहीं है मुझको कोई कि मैं किसी की गले की शोभा बढ़ाऊँ।

और भी सुंदर फूल है जमाने में पर फूलों का राजा मैं कहलाता हूँ,
चाह नहीं है मुझको कि मैं किसी हसीना के गजरे में गूंथा जाऊँ।

मेरी खूबसूरती पर मरते हैं लोग मुझे प्रेम का प्रतीक समझते हैं,
चाह नहीं है मुझको कि मैं किसी के झूठे प्रेम का सहारा बन जाऊँ।

मेरे रंग और रूप की सारी दुनिया दीवानी है इस बात को जानते हैं,
चाह नहीं है मुझको कि मैं किसी भी बिन ब्याही की सेज सजाऊँ।

गुलाब की फ़रमाइश है कि उसकी चाहतें भी जग जाहिर हो जाएं,
चाह नहीं है बेवजह बेबात के किसी नुमाइश का हिस्सा बन जाऊँ।

चाह मेरी बस इतनी सी कि ईश्वर के चरणों में श्रद्धा से चढ़ाया जाऊँ,
चाह मेरी बस इतनी सी किसी वीर शहीद की अर्थी पर सजाया जाऊँ। ♥️ Challenge-994 #collabwithकोराकाग़ज़

♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊

♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा।

♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
चाह नहीं है मुझको कोई कि मैं किसी माला में पिरोया जाऊँ,
चाह नहीं है मुझको कोई कि मैं किसी की गले की शोभा बढ़ाऊँ।

और भी सुंदर फूल है जमाने में पर फूलों का राजा मैं कहलाता हूँ,
चाह नहीं है मुझको कि मैं किसी हसीना के गजरे में गूंथा जाऊँ।

मेरी खूबसूरती पर मरते हैं लोग मुझे प्रेम का प्रतीक समझते हैं,
चाह नहीं है मुझको कि मैं किसी के झूठे प्रेम का सहारा बन जाऊँ।

मेरे रंग और रूप की सारी दुनिया दीवानी है इस बात को जानते हैं,
चाह नहीं है मुझको कि मैं किसी भी बिन ब्याही की सेज सजाऊँ।

गुलाब की फ़रमाइश है कि उसकी चाहतें भी जग जाहिर हो जाएं,
चाह नहीं है बेवजह बेबात के किसी नुमाइश का हिस्सा बन जाऊँ।

चाह मेरी बस इतनी सी कि ईश्वर के चरणों में श्रद्धा से चढ़ाया जाऊँ,
चाह मेरी बस इतनी सी किसी वीर शहीद की अर्थी पर सजाया जाऊँ। ♥️ Challenge-994 #collabwithकोराकाग़ज़

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