Nojoto: Largest Storytelling Platform

ये मासूमियत बड़ी गुमसुम सी होती है कब खो जाये पता

ये मासूमियत बड़ी गुमसुम सी होती है 
कब खो जाये पता नहीं 
बस एक नादानी ही है 
जो रूठें हुए लोगो को मना भी सकती है 
और 
मनवा भी सकती है 

तेरी मासूमियत मे कुछ इस तरह उलझ के फस गए हम 
की पता ही नहीं चला 
 प्यार कब हो गया 
और 
नादानी की तो ऐसी हद पार की तुमने 
मुझे पता ही नहीं चला 
की कब मै तेरे इश्क़ मे बेवफा होके 
तेरी हर बात मान गया #दिल बेचारा
ये मासूमियत बड़ी गुमसुम सी होती है 
कब खो जाये पता नहीं 
बस एक नादानी ही है 
जो रूठें हुए लोगो को मना भी सकती है 
और 
मनवा भी सकती है 

तेरी मासूमियत मे कुछ इस तरह उलझ के फस गए हम 
की पता ही नहीं चला 
 प्यार कब हो गया 
और 
नादानी की तो ऐसी हद पार की तुमने 
मुझे पता ही नहीं चला 
की कब मै तेरे इश्क़ मे बेवफा होके 
तेरी हर बात मान गया #दिल बेचारा

#दिल बेचारा