हश्र मेरी शायरी का यूँ न कर, बनके स्याह के अगर करना है तो मेरी मोहब्बत इल्म कर, फैला के रंग बदहवासी का तू मेरे अरमानों को कालिख न कर। #हश्र #इश्क़ #स्याह