अपने ज़ख्मों पे मैं हूँ हँसता गलत तदबीर सही मेरी,मेरा रास्ता गलत नाजुक दिल,काँच की उम्मीदें मेरी, पत्थरों से पड़ा है मेरा वास्ता गलत इन्हीं दहशतों में मैं हो गया पत्थर, हो जाए कुछ,ख़ुदा ना-ख़्वास्ता गलत इस दौर में करता रहा,जज़्बात जमा ऐ दिल तुझसे है मेरा राब्ता गलत बहलाता हूँ,देखके,किरदार पे दाग़, मैं गलत नहीं शायद है आईना गलत ज़ख्म #madhavawana