भावों को आने दो भावों को समझो भावों को बहने दो भावों को बरसने दो यही रास्तों की रेल है। भावों में भिगोगे भावों में रिझोगे खुद को ढूंढोगे सबको अंदर पाओगे यही सच्चा मेल है। हजारों , लाखों की गिनती से हटकर मुश्किलों को भूलकर सही रास्ता पाओगे रास्तों से मंजिलें हैं बस यही तो खेल है।। ©Mohan Sardarshahari भावनाएं # 1000 on Nojoto #SunSet