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बैचैनियाँ भी बढ़ रही है, आँखे भी उन्हे देखने के लिय

बैचैनियाँ भी बढ़ रही है,
आँखे भी उन्हे देखने के लिये तरस रही है,
जितना वो हमसे बात नही करते,
कम्बखत चाहत भी उतनी ही बढ़ रही है।

©Ashmita Shukla #लोग #क्या #जाने #कितना #दर्द #है… #चाहत #में
बैचैनियाँ भी बढ़ रही है,
आँखे भी उन्हे देखने के लिये तरस रही है,
जितना वो हमसे बात नही करते,
कम्बखत चाहत भी उतनी ही बढ़ रही है।

©Ashmita Shukla #लोग #क्या #जाने #कितना #दर्द #है… #चाहत #में