अभी मेरी आयु कितनी होने को ही आई है, बचपन की स्मृतियों ने अभी से मेरे हृदय को व्यथा पहुंचाई है। कभी कभी सोचता हूं कि हमें बड़ा ही क्यों होना पड़ता है, शायद हम किसी और के बचपन को स्वर्णिम बनाए इसीलिए हमें अपना बचपन खोना पड़ता है। यह चक्र निरंतर है इसमें आता नहीं कोई अंतर है, सब को यह दिन जीना है सबको बचपन खोना है। बस संतोष इस बात का होता है कि मैंने अपने बचपन को खुलकर जिया है, तब भी पता नहीं मन को क्या हुआ है इसने इस बात को कभी नहीं सुना है। मैं शायद अकेला हूं प्यार चाहता हूं, बचपन में मिलने वाला वह स्नेह चाहता हूं। भगवान की भी अलग माया है जब सात्विकता दी तो मस्तिष्क नहीं दिया और जब मस्तिष्क दिया तो सात्विकता नहीं रह गई। यह बस मेरा एक विचार है और एक 15 वर्ष के बालक से क्या उम्मीद की जा सकती है। माने या ना माने childhood is the best memory of life even if you don't remember most things. #truthaboutlife #childhood #yourquote #firstpoem #yqbaba #yqdidi