पल्लव की डायरी मै तो नदियाँ थी,अस्तिव अपना छोड़ आयी थी पुजारिन बन तेरे नाम की,पूजा कर आयी थी मीरा राधा की तरह,घनश्याम चुन आयी थी प्रेम में पागल में,समर्पण अपना कर आयी थी तेरी बाँसुरी की सुरों में,पायल झंकार आयी थी गोपी तेरी बन,तन मन दे आयी थी तेरे समुंदर में समायी में विलीन अपना जीवन कर आयी थी प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" पुजारिन बन पूजा तेरे नाम की कर आयी थी #nam