अक्षर से शब्द और शब्दों से वाक्य बना , मैं आगे चल चला हूं | इश्क , मोहब्बत , प्यार की बातें सब छोड़ किसी कूचे में , मैं एक नई राह पर बड़ चला हूं । खाएं हैं धोखे हजारों , काफी इल्जाम लिए हैं खुद पर जमाने के । अब तो इस दुनिया के रीति रिवाजों को छोड़ , मैं मां के आंचल की ओर बड़ चला हूं । ---AJ maa ka anchal