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टूटते तारों के बीच बची हुई रेत की ढलकती कतार सी प

टूटते तारों के बीच बची हुई
रेत की ढलकती कतार सी

प्यार की परवाह में अनछूई
मेघ की मल्हार में छूटी-सी

कूहूक-कूहूक में डूबोयी हुई 
प्रातः की ओस में सोई सी

कुछ खोई कभी रुठी-रुखी हुई
बेरंग जहां में बनी तरंग सी

थोड़ी मदहोश थोड़ी अलसाई हुई
जवां ख्वाहिश, रवां अल्हड़ सी

तेरे प्यार में पूरी डूबी डूबी हुई
कशिश बन नूर सी छिटकी सी

कभी चांद रात की चांदनी हुई
कभी अभ्रक से चमकीली सी

तपिश प्रीत की लिए बौराई हुई
अलख ठौर सी, सुध भरमाई सी! कब और कहां सब होकर भी कहां पूरे होते हैं हम
प्यार तो अधूरेपन में पूरा है, कहां पूरे होते हैं हम,
सब कुछ गंवा कर अधूरा है, गुंजाइश ना कि पूरा हो
फितरत ही इसकी फूलने की, कहां पूरा हो सिमटेगा!

#निर्धन_प्रेम 
#a_journey_of_thoughts 
Shree
टूटते तारों के बीच बची हुई
रेत की ढलकती कतार सी

प्यार की परवाह में अनछूई
मेघ की मल्हार में छूटी-सी

कूहूक-कूहूक में डूबोयी हुई 
प्रातः की ओस में सोई सी

कुछ खोई कभी रुठी-रुखी हुई
बेरंग जहां में बनी तरंग सी

थोड़ी मदहोश थोड़ी अलसाई हुई
जवां ख्वाहिश, रवां अल्हड़ सी

तेरे प्यार में पूरी डूबी डूबी हुई
कशिश बन नूर सी छिटकी सी

कभी चांद रात की चांदनी हुई
कभी अभ्रक से चमकीली सी

तपिश प्रीत की लिए बौराई हुई
अलख ठौर सी, सुध भरमाई सी! कब और कहां सब होकर भी कहां पूरे होते हैं हम
प्यार तो अधूरेपन में पूरा है, कहां पूरे होते हैं हम,
सब कुछ गंवा कर अधूरा है, गुंजाइश ना कि पूरा हो
फितरत ही इसकी फूलने की, कहां पूरा हो सिमटेगा!

#निर्धन_प्रेम 
#a_journey_of_thoughts 
Shree
shree3018272289916

Shree

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कब और कहां सब होकर भी कहां पूरे होते हैं हम प्यार तो अधूरेपन में पूरा है, कहां पूरे होते हैं हम, सब कुछ गंवा कर अधूरा है, गुंजाइश ना कि पूरा हो फितरत ही इसकी फूलने की, कहां पूरा हो सिमटेगा! #निर्धन_प्रेम #a_journey_of_thoughts Shree