भीतर के अहसास को जगाना ख़ुद के बहुत करीब आना अपने अपनो को अपनेपन का अहसास करवाना वो साख बने तो खुद को उसका तना बनाना वो दरख़्त बने तो उसकी छांव बन जाना वो उदास बैठा हो गर कहीं खुद अब्र बन खुशियों का खुशी बरसाना गर वो चौड़ा रास्ता हो शहर का तो खुद को गांव बना उस तक आने वाली पगडंडी हो जाना इश्क बयां क्या करे कोई कोई अस्तर बने तो उसकी रूह में उतर जाना ©Manish Sarita(माँ )Kumar इश्क के रंग है तू सोच तुझे कैसे संवर जाना है क्या ही रहा है बीना इश्क के यहां काग़ज़ का कलम के संग अलग सा है याराना ये इश्क के रंग हैं तू सोच कैसे खुद को है रंगाना