उलझनों का मारा... ये बेचैन मन हमारा.. किधर जाऊं कहाँ रहूं.. किसको बताऊं.. क्या कहूँ,क्या छुपाऊं.. उलझनों का दिल हमारा.. बस यूं ही मारा फिरता बेचारा।। ©bhawna gupta ये बेचैन मन हमारा.. किधर जाऊं कहाँ रहूं.. किसको बताऊं.. क्या कहूँ,क्या छुपाऊं.. उलझनों का मन हमारा.. दिल मेरा... बस यूं ही मारा फिरता बेचारा।।