हुए हैं ग़ाफ़िल हम तेरे इश्क़ में जब से गए हो अज़नबी बनकर अधूरी रह गई मेरी दास्तां-ए-मोहब्बत गुज़र रही ज़िंदगी कुल्फ़त मे इस क़दर हो रही ख़िलाफ़त दुनिया में हमारी हुए हैं बदनाम हम तेरे इश्क़ में पड़कर •☆• जीएटीसी कोलाॅबज़-३ •☆• 《हिंदी चैलेंज १》 नियमावली: १. आप कविता, गद्य, कहानी, पत्र, बात-चीत - किसी भी रूप में लिख सकते हैं। २. आप चाहें तो कितनी भी लंबी रचना लिख सकते हैं, अनुशीर्षक में भी लिख सकते हैं।