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रात के अँधेरे से घबराता नहीं, न ही बादलों के पीछे

 रात के अँधेरे से घबराता नहीं,
न ही बादलों के पीछे छुप कर रोता है..!

सूरज है वो शान से निकलता है,
चीरता हुआ यूँ तमस का सीना..!

वक़्त की क़दर दिखाती है असर,
कुम्भकर्ण कि भाँति न सोता है..!

सिखाता है कि अन्धकार के बाद,
कैसे जीवन रौशन होता है..!

क्यों तनाव लेकर मानव जीवन में,
खुशियों को तू यूँ खोता है..!

नेकी कर और दरिया में डाल,
नफरतों के बीज क्यों बोता है..!

जिसने दिया है जीवन वो सहारा भी देगा,
जो होता है अच्छे के लिए होता है..!

©SHIVA KANT
  #raatkasafar