रातों के ही मुसाफिर हैं तुम भी और हम भी, तो क्यों ना बन जाएं हम, हमदम भी, कह दो तो मिटा दें दूरियाँ दिलों की, चल दो तो मिला लें कदम से कदम भी।। मुसाफ़िर #मुसाफ़िर #रातें #हमदम #क़दम #दूरियाँ #NozotoHindi #hindishayri #hindipoetry