मेरी जिंदगी में जिंदगी की हो गयी है वापसी, तुम्हारा आना बाकी बस जिसको तुम टालती, क्या शिकवे, क्या ख़लिश है मुझको पता नहीं, सुलझ गए सारे मसले जो हुए हमारे आपसी, मैंनें भी चाहा था तुम को खुद से कहीं ज्यादा, तुमने बड़ी आसानी से कह दिया मेरी आशिकी, तुम्हें एक बार को अपना मान कर देख भी लूँ, पर तुम न मेरी सुनती न मुझको अपना मानती, प्रियांशु कुछ भी लिखे तुम पर अल्फाज़ अपने, लोग मानते उसने की है कोई मुक्कमल शायरी, *: ℘ཞıყąŋʂɧų ʂɧąཞɱą :* ©Priyanshu Sharma मेरी जिंदगी में जिंदगी की हो गयी है वापसी, तुम्हारा आना बाकी बस जिसको तुम टालती, क्या शिकवे, क्या ख़लिश है मुझको पता नहीं, सुलझ गए सारे मसले जो हुए हमारे आपसी, मैंनें भी चाहा था तुम को खुद से कहीं ज्यादा, तुमने बड़ी आसानी से कह दिया मेरी आशिकी,