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मेरा दिल 'तोड़' भी नहीं रहा,बस 'निभाये' जा रहा है '

मेरा दिल 'तोड़' भी नहीं रहा,बस 'निभाये' जा रहा है
'माज़रा' कुछ न कुछ तो है, मग़र 'छिपाए' जा रहा है
जबसे मुझको पता चला किसी और से है ताल्लुक उसका
'उम्मीद' रखूँ या 'मातम' कर लूँ,यही सवाल खाए जा रहा है

--प्रशान्त मिश्रा "असमंजस"
मेरा दिल 'तोड़' भी नहीं रहा,बस 'निभाये' जा रहा है
'माज़रा' कुछ न कुछ तो है, मग़र 'छिपाए' जा रहा है
जबसे मुझको पता चला किसी और से है ताल्लुक उसका
'उम्मीद' रखूँ या 'मातम' कर लूँ,यही सवाल खाए जा रहा है

--प्रशान्त मिश्रा "असमंजस"

"असमंजस"