अंदर हैं एक ठहरा समुंद्र बाहर हैं ख़ामोशी का बवंडर।। दिल में हैं एक कसक चारों ओर हैं दर्द भरा मंज़र।। हो चुका हैं दूर सबसे दिल मेरा बन चुका हैं खंडर।। ना चाहत है ओर ना ही हैं कोई सहारा मेरी ही तरह मेरा ख़्वाब भी हो चुका हैं बेघर।। ख़ामोशी ही हैं बेहतर जो हुआ शायद वही था और हमारा मुकद्दर।।। ©Sheetal Buriya #Life #Poetry #PoetryOnline #sheetalburiya #poem #storyofmylife #MereKhayaal