क्या कसूर है मेरा ? आखिर मैं ही क्यों ?? सवालात बहुत सी है मेरी ज़िन्दगी मैं मैं अंधेरो से घिरी हुई हूँ ।। आखिर मेरे साथ ऐसा क्यों हो रहा है ? क्यों मैं उठ कर खिड़की खोल नही सकती ? क्यों मैं रौशनी से सामना कर नही सकती ? क्यों मेरे सारे सपने टूट कर बिखर से गये है ? ज़िन्दगी का ये कौन सा सच है ; जिससे सामना करने की हिम्मत नही है मुझ में ।। आँखों के पास अँधेरे के सिवा कुछ नही दिखता ।।