Nojoto: Largest Storytelling Platform

थक गया हूंँ मैं... हार गया हूँ मैं... टूट कर बिख

थक गया हूंँ मैं... 
हार गया हूँ मैं... 
टूट कर बिखर गया हूँ मैं! 
कभी सपने देखा करता था जिन आखों से .. 
वो आंखें मुझे ही चुभने लगीं मेरे अपनों से.. 
सच कहूँ तो सोता नहीं हूँ मैं... 
झूठ कहूँ तो रोता नहीं हूँ मैं... 
क्यूँ ?चोरी हो गया मेरा सारा सुकून... 
मेरी नींद, मेरी हंसी, मेरा जज़्बा जीने का... 
किसी से कहूँ तो केहते हैं जज़्बाती ज़्यादा हो गया हूँ मैं.. 
क्यूँ मेरे रूह को सज़ा मिली है? 
क्यूँ लोगों को मुझ पर हंसने की वजह मिली है? 
क्यूँ घुटन ज़्यादा है और सांसें कम? 
क्यूँ आंसू ज़्यादा हैं और बातें कम? 
क्यूँ मेरे ज़ख्मों को नासूर कर रही है ये दुनिया? 
मालूम नहीं मेरे खु़दा को क्यूँ काबिल-ए-बर्दाश्त है!!! 
मुझे इतनी तक़लीफ में देखना.. 
जबकि एक पल भी खुशी का जीता नहीं हूँ मैं.. 
क्या तुझे सुनाई नहीं देती मेरी चीख़??
क्यूँ  सुनाई ऐसी सज़ा जो हर दिन मौत बनकर बरसती है??? 
क्यूँ मेरी किस्मत की कोई बीमा नहीं? 
क्यूँ मेरे इस दर्द की कोई सीमा नहीं? 
क्यूँ जनाज़ा निकल गया मेरी इज़्ज़त का??? 
क्यूँ जुलूस निकल गया मेरी आबरू का? 
मुकर्रर-ए- सज़ा का ये दौर... क्यूँ ख़त्म नहीं होता............. ऐ साथी???
क्यूँ मेरा दिल टूटा पड़ा है अब तक? 
क्यूँ मेरी सांसें टूट रही...और कब तक?

                    दर्द की गहराई से....✍ 
                             आभाष रंजन! #dard#writenby#abhashranjan
थक गया हूंँ मैं... 
हार गया हूँ मैं... 
टूट कर बिखर गया हूँ मैं! 
कभी सपने देखा करता था जिन आखों से .. 
वो आंखें मुझे ही चुभने लगीं मेरे अपनों से.. 
सच कहूँ तो सोता नहीं हूँ मैं... 
झूठ कहूँ तो रोता नहीं हूँ मैं... 
क्यूँ ?चोरी हो गया मेरा सारा सुकून... 
मेरी नींद, मेरी हंसी, मेरा जज़्बा जीने का... 
किसी से कहूँ तो केहते हैं जज़्बाती ज़्यादा हो गया हूँ मैं.. 
क्यूँ मेरे रूह को सज़ा मिली है? 
क्यूँ लोगों को मुझ पर हंसने की वजह मिली है? 
क्यूँ घुटन ज़्यादा है और सांसें कम? 
क्यूँ आंसू ज़्यादा हैं और बातें कम? 
क्यूँ मेरे ज़ख्मों को नासूर कर रही है ये दुनिया? 
मालूम नहीं मेरे खु़दा को क्यूँ काबिल-ए-बर्दाश्त है!!! 
मुझे इतनी तक़लीफ में देखना.. 
जबकि एक पल भी खुशी का जीता नहीं हूँ मैं.. 
क्या तुझे सुनाई नहीं देती मेरी चीख़??
क्यूँ  सुनाई ऐसी सज़ा जो हर दिन मौत बनकर बरसती है??? 
क्यूँ मेरी किस्मत की कोई बीमा नहीं? 
क्यूँ मेरे इस दर्द की कोई सीमा नहीं? 
क्यूँ जनाज़ा निकल गया मेरी इज़्ज़त का??? 
क्यूँ जुलूस निकल गया मेरी आबरू का? 
मुकर्रर-ए- सज़ा का ये दौर... क्यूँ ख़त्म नहीं होता............. ऐ साथी???
क्यूँ मेरा दिल टूटा पड़ा है अब तक? 
क्यूँ मेरी सांसें टूट रही...और कब तक?

                    दर्द की गहराई से....✍ 
                             आभाष रंजन! #dard#writenby#abhashranjan
nkr1288814528686

Fravash

New Creator