पल्लव की डायरी महँगाई की आंच चाय को सताने लगी है उबाल सिलेंडरों की कीमत में सरकार बढ़ाने लगी है रूठी है रसोई राशन की खेप कम आने लगी है वीरानियाँ सी छायी घरो में पॉकेट परिवारों की महँगाई काटने लगी है कीमत ना रही जिंदगियों की महँगाई डायन सताने लगी है रोज रोटी पर पहरा लगाकर भाव खाने लगी है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" पॉकेट महँगाई काटने लगी है #eveningtea