महेश अपने अंदाज में जीता है और जीता रहेगा ये बन्दा अपने अंदाज में पीता है और पीता रहेगा दुनिया के शोर शराबो से दूर है तभी तो अपनी जिंदगी का एक अकेला नूर है कुमार महेश "माही" ये तो अपनी नादानी है मैं नहीं कहता ये दुनिया समझती है पर मेरी तो ये खूबी है जो चाहे समझो अपनी तो ये ही कहानी है