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पिछली रचना में मर्द की विशेषताए देखी चलो अब नारीयो

पिछली रचना में मर्द की विशेषताए देखी चलो अब
नारीयों की विशेषताएँ देखते है

Women are Women-Part I

( कृपया व्यक्तिगत या अन्यथा ना लिजीए,  मेरा अल्प ज्ञान , आकलन , एवं निरीक्षण पर आधारित ये पोष्ट है🙏🙏 )

©Vivek..... सर्वप्रथम मेरा हिंदी का व्याकरण और हिंदी भी कमजोर है , तो गलतिया नजर अंदाज और क्षमापित करके पढना ये विशेष बिनती है I

१ .नारी खूद में एक प्रकृति की विशेषता है
२ .नारी पहले या मर्द पहला ये विवाद निरर्थक है , निःसंशय नारी ही प्रथम पैदा हुई ( विज्ञान ने ये हकीकत सिद्ध कर दी है )
३ . ईश्वर और धरती के बाद सृजन की क्षमता रखनेवाली नारी या स्त्रीलिंगी एकमेव प्राणीमात्र होती है
४ . मानव का स्त्रीलिंग रुप तथा नारी एक ऐसा गहन विषय है जिसे पूरी तरह कोई समझ नही सका है , ब्रम्ह ज्ञानी भी नही समझ सके है
५ . काल चक्र बडा विचित्र होता है आदिकाल में नारी को सृजन, निर्वाह और पालन खूद करना पडता था
६ . ये विडंबना कहिए या नियति , आज भी कई नारीया यही काम खूद करती है,वजहे चाहे कोई हो
पिछली रचना में मर्द की विशेषताए देखी चलो अब
नारीयों की विशेषताएँ देखते है

Women are Women-Part I

( कृपया व्यक्तिगत या अन्यथा ना लिजीए,  मेरा अल्प ज्ञान , आकलन , एवं निरीक्षण पर आधारित ये पोष्ट है🙏🙏 )

©Vivek..... सर्वप्रथम मेरा हिंदी का व्याकरण और हिंदी भी कमजोर है , तो गलतिया नजर अंदाज और क्षमापित करके पढना ये विशेष बिनती है I

१ .नारी खूद में एक प्रकृति की विशेषता है
२ .नारी पहले या मर्द पहला ये विवाद निरर्थक है , निःसंशय नारी ही प्रथम पैदा हुई ( विज्ञान ने ये हकीकत सिद्ध कर दी है )
३ . ईश्वर और धरती के बाद सृजन की क्षमता रखनेवाली नारी या स्त्रीलिंगी एकमेव प्राणीमात्र होती है
४ . मानव का स्त्रीलिंग रुप तथा नारी एक ऐसा गहन विषय है जिसे पूरी तरह कोई समझ नही सका है , ब्रम्ह ज्ञानी भी नही समझ सके है
५ . काल चक्र बडा विचित्र होता है आदिकाल में नारी को सृजन, निर्वाह और पालन खूद करना पडता था
६ . ये विडंबना कहिए या नियति , आज भी कई नारीया यही काम खूद करती है,वजहे चाहे कोई हो
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Vivek .

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