न कूंढ़े क़ल्ब,न रोए नैन۔ हत-तल इमकान, कहने का अंदाज़ नया करुंगा۔ तुम लो ना,चाय में चुस्कियों के मजे۔ मैं आज तेजाब की तपिश में हाल अपना बयां करुंगा۔ Rab khayr