मैं दिवस मेरी रजनी तुम हो, हूँ हाथ अगर अंगुली तुम हो, ये बंधन कैसा है जाने, अम्बर हूँ तो धरती तुम हो, मैं बहता मधुर संगीत हुआ, फिर तो मेरी बंसी तुम हो, जल रहा युगों युगों से मैं, इस अग्नि की रश्मि तुम हो, मैं भी वो भी तुम भी जग भी, सुर ताल सभी पगली तुम हो। मैं दिवस.... #yqdidi #yqhindi #yqsahitya #yqkavita