Nojoto: Largest Storytelling Platform

आसान मंज़िल आई रे आई देखो री वसंत ऋतु की बहार आई

आसान मंज़िल  

आई रे आई देखो री वसंत ऋतु की बहार आई रे..!
झूम के नाचो री सखियाँ कि मनवा फुहार लाई रे..!

शीत ऋतु की बीते री रैना चैत्र वैशाख द्वार लाई री नैना..!
झूम के नाचो री  बगियां कि फुलवा हजार लाई रे..!

आम के पेड़ों पर बौरें आने लगी पतंगा आसमां छाने लगी..!
मन को मगन करे  ठंडी-ठंडी ऐसी  बियार लाई रे..!

सरोवर पर जब आए रे मितवा झूम के सब गाए रे गीतवा..!
हरी-हरी बगियन में कोयल तान सुनावन आई रे..!

शाखों से शोर करे जो पतवा बागों में मयूर हो जावे रे मतवा..! 
झूमो रे झूमो गाओ मयूरवा बरखा संग बहार लाई रे..!

अब्र से जब छटती छटा कोहरे के आंचल को ढकती घटा..!
बीत गई विरह  की  घड़ियां  रुत ये सुहानी आई रे..!

गांमन की सखियां मिलावत अखियां चार तरह की बनावे रे बतियां..!
प्रेम प्रसंग की अलौकिक छवि सभी मनवा भाई रे..!

आई रे आई देखों री वसंत  ऋतु  की बहार आई रे..!
झूम के नाचों री सखियाँ  कि मनवा  फुहार लाई रे..!

©Darshan Raj विषय:-  बसंत ऋतु..✍

आई रे आई देखो री वसंत ऋतु की बहार आई रे..!
झूम के नाचो री सखियाँ कि मनवा फुहार लाई रे..!

शीत ऋतु की बीते री रैना चैत्र वैशाख द्वार लाई री नैना..!
झूम के नाचो री  बगियां कि फुलवा हजार लाई रे..!
आसान मंज़िल  

आई रे आई देखो री वसंत ऋतु की बहार आई रे..!
झूम के नाचो री सखियाँ कि मनवा फुहार लाई रे..!

शीत ऋतु की बीते री रैना चैत्र वैशाख द्वार लाई री नैना..!
झूम के नाचो री  बगियां कि फुलवा हजार लाई रे..!

आम के पेड़ों पर बौरें आने लगी पतंगा आसमां छाने लगी..!
मन को मगन करे  ठंडी-ठंडी ऐसी  बियार लाई रे..!

सरोवर पर जब आए रे मितवा झूम के सब गाए रे गीतवा..!
हरी-हरी बगियन में कोयल तान सुनावन आई रे..!

शाखों से शोर करे जो पतवा बागों में मयूर हो जावे रे मतवा..! 
झूमो रे झूमो गाओ मयूरवा बरखा संग बहार लाई रे..!

अब्र से जब छटती छटा कोहरे के आंचल को ढकती घटा..!
बीत गई विरह  की  घड़ियां  रुत ये सुहानी आई रे..!

गांमन की सखियां मिलावत अखियां चार तरह की बनावे रे बतियां..!
प्रेम प्रसंग की अलौकिक छवि सभी मनवा भाई रे..!

आई रे आई देखों री वसंत  ऋतु  की बहार आई रे..!
झूम के नाचों री सखियाँ  कि मनवा  फुहार लाई रे..!

©Darshan Raj विषय:-  बसंत ऋतु..✍

आई रे आई देखो री वसंत ऋतु की बहार आई रे..!
झूम के नाचो री सखियाँ कि मनवा फुहार लाई रे..!

शीत ऋतु की बीते री रैना चैत्र वैशाख द्वार लाई री नैना..!
झूम के नाचो री  बगियां कि फुलवा हजार लाई रे..!
darshanraj7292

Darshan Raj

New Creator