बैठा है गुप्त, कही एक सितार..... धुंडो उसे, प्रकट करो उजाला..... आखों में जीत सा दीख रहा है, होंसलो में वो जी रहा हैै, रोज - रोज वो एक ही गाए, दुसरा नहीं है उसका गाना...... बैठा है कही एक गुप्त सितारा..... बैठा है कही एक गुप्त सितारा..... पूर्व में चमके, कितने सितारे..... देख उन्हें ये, चमक सा जाए..... भाग्य से वो ठोकर खाए , पर बुलंदियों को छूना चाहे, मन में उसके एक ही ठिकाना, दुसरा नहीं है उस का बहाना..... बैठा है कही एक गुप्त सितारा..... बैठा है कही एक गुप्त सितारा..... #NojotoQuote बैठा है कही एक गुप्त सितारा.....