तेरे नाज़ुक हाथों के स्पर्श को यूं महसूस करूं, सहरा में बारिश की फुहारें या सर्दी की धूप कहूं! उन रेखाओं को भी चूमूं जिनमें मेरा नाम नहीं, फिर मैं उंगली के पोरों से उन पर अपना नाम लिखूं! लम्हा-लम्हा रफ़्ता-रफ़्ता मैं तुझमें यूं गुम हो जाऊं, तुम बन जाओ इश्क का दरिया मैं दरिया की बूंद बनूं! सदियोंसे् भटकती चाहत शायद अपनी मंज़िल पा लेगी, तुम मीरा तुम राधा बनतीं, मैं श्याम कृष्ण सा रुप धरूं! #yqaliem #hathon_ki_lakeer #sparsh #chahat #ishq